बड़ी बदसुरत होती है, बड़ी खुदगर्ज होती है…
ये शिकायतें।
पुराने किसी जख्म़ से बदबू सी आती है,
दिल में सिसकती आग के धुंए सी आंखों में चुभती हैं…
ये शिकायतें।
अपनों पे हक़ होने का एहसास दिलाती हैं,
अपनों से मिले दर्द की याद दिलाती हैं…
ये शिकायतें।
कोई सुनने वाला हो तो कहती ही जाती हैं,
कोई ना हो तो दिल ही में दफन हो जाती हैं…
ये शिकायतें।
ज़बान से निकल जाए तो दिल को सुकून देती हैं,
तो कभी इस इज़हार से अपनों को दुखाने का दर्द देती हैं…
ये शिकायतें।
बड़ी गुस्ताख होती है,
बड़ी खुदगर्ज होती है… ये शिकायतें।
ये शिकायतें।
– विशाल राजेंद्र शिंदे
(२३ सितंबर २०१२)